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Home » द इंडियन ट्राइबल / हिंदी » संगीत » जम्मू-कश्मीर की प्रवासी जनजातियों का संगीत और प्रकृति से है अटूट नाता

जम्मू-कश्मीर की प्रवासी जनजातियों का संगीत और प्रकृति से है अटूट नाता

इनके पास मनोरंजन, आपसी संवाद और ईश्वर की स्तुति करने के लिए एक से बढक़र एक संगीत वाद्ययंत्र होते हैं। आदिवासी लोग जहां भी प्रवास करते हैं, ये वाद्ययंत्र उनके साथ होते हैं। द इंडियन ट्राइबल की विशेष रिपोर्ट

May 16, 2022
Tribal Music | Indigenous Musical Instruments of Jammu & Kashmir Tribals

जम्मू और कश्मीर के आदिवासियों के स्वदेशी संगीत वाद्ययंत्र

आदिवासियों का अधिकांश जीवन यात्राओं में व्यतीत होता है। जैसे-जैसे गर्मी का मौसम आता है, कई जनजातियां गर्मी से बचने के लिए मैदानी इलाकों से पलायन कर पहाड़ों में चली जाती हैं। जब हाड़ कंपा देने वाली सर्दियां आती हैं तो वे बर्फ ढकी चोटियां छोडक़र अपने घरों और हरे-भरे चरागाहों की ओर लौट आते हैं।

आदिवासी लोग अपनी यात्रा के दौरान प्रकृति मां के साथ सुर में सुर मिलाकर गाते चलते हैं और पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों का उपयोग कर अपने परिवेश के साथ बेहतर रिश्ता, जुड़ाव प्रदर्शित करते हैं।

The Indian Tribal
ढोल बजाते हुए लोग

इस यात्रा के दौरान आदिवासी प्रकृति मां के साथ सुर मिलाकर गाते हैं और अपने परिवेश के साथ खास जुड़ाव प्रदर्शित करने के लिए पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों का उपयोग करते हैं। गुर्जर/बकरवाल आदिवासी और लेखक डॉ. जावेद राही ने अक्सर जम्मू और कश्मीर के लोक गीतों में आदिवासियों को ढोल का इस्तेमाल करते देखा है।

उन्होंने कहा कि खानाबदोश लोग अपने पालतू पशुओं के साथ ही पहाड़ों की ओर पलायन करते हैं। अपने जानवरों के साथ दूर से संवाद करने, उन्हें अपने साथ चलने के संकेत देने के लिए वे हाथ से बने संगीत वाद्ययंत्रों का उपयोग करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि शिकारी जानवरों को अपने मवेशियों व बच्चों से दूर रखने के लिए भी आदिवासी विशेष तरीके से वाद्ययंत्र बजाते हैं।

The Indian Tribal | Jammu & Kashmir Tribal Musical Instrument | An artiste playing the Bisilli
वाद्य यंत्र बंजली

घुमंतू आदिवासियों की जेब में अक्सर पाया जाने वाला एक वाद्ययंत्र होता है बंजली। यह बांसुरी जैसा दिखता है और आकार में 12 इंच से लेकर लगभग 30 इंच तक लंबा होता है। शोपिया, महिया और जंगबाज जैसे लोक गीत बंजली पर सुने जाते हैं। बड़ा ही सुरीला, मदहोश कर देने वाला संगीत होता है यह।

जम्मू-कश्मीर के आदिवासी समुदाय प्रकृति मां की गोद में अपना जीवन व्यतीत करते हैं। वे अपनी आजीविका के लिए इस पर निर्भर होते हैं और उस भाषा को भलीभांति समझते हैं, जिसमें वह उनके साथ संवाद करती है।

आदिवासी लोग अपनी यात्रा के दौरान प्रकृति मां के साथ सुर में सुर मिलाकर गाते चलते हैं और पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों का उपयोग कर अपने परिवेश के साथ बेहतर रिश्ता, जुड़ाव प्रदर्शित करते हैं।

कुछ क्षेत्रों में खानाबदोश लोग मुंह से बजाए जाने वाले वाद्य यंत्र चुंग का प्रयोग करते हैं। यह लोहे से बना पांच से सात इंच लंबा यंत्र होता है, जिसमें तांबे का एक तार होता है। यह आदिवासी चुंग अपने फारसी समकक्ष से इस मायने में अलग है कि इसके तीन भाग होते हैं- दो सीधी रेखाओं को मिलाने वाला एक वक्र, जिसके बीच में एक तार होता है – और इसे मुंह से बजाया जाता है।

The Indian Tribal
वाद्य यंत्र चुंगू बजाता एक कलाकार

एक बार बहुत ही लोकप्रिय रहा यह वाद्ययंत्र अब लगभग विलुप्त सा हो गया है। जम्मू-कश्मीर के गुर्जरों में बहुत कम ही लोग ऐसे बचे हैं जो चुंग बजा सकते हैं। डॉ. राही ने अपनी पुस्तकों के लिए शोध करते हुए पाया कि चुंग जैसे कई पारंपरिक आदिवासी संगीत वाद्ययंत्र अब विलुप्त होने के कगार पर हैं।

उन्होंने इन पुराने संगीत उपकरणों को भौतिक रूप से और तस्वीरों एवं विवरणों के साथ संरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है, ताकि आने वाली पीढिय़ों को उनकी सांस्कृतिक विरासत से परिचित कराने में मदद मिल सके।

(फ़ोटो – डॉ. जावेद राही)

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The Indian Tribal is India’s first bilingual (English & Hindi) digital journalistic venture dedicated exclusively to the Scheduled Tribes. The ambitious, game-changer initiative is brought to you by Madtri Ventures Pvt Ltd (www.madtri.com). From the North East to Gujarat, from Kerala to Jammu and Kashmir — our seasoned journalists bring to the fore life stories from the backyards of the tribal, indigenous communities comprising 10.45 crore members and constituting 8.6 percent of India’s population as per Census 2011. Unsung Adivasi achievers, their lip-smacking cuisines, ancient medicinal systems, centuries-old unique games and sports, ageless arts and crafts, timeless music and traditional musical instruments, we cover the Scheduled Tribes community like never-before, of course, without losing sight of the ailments, shortcomings and negatives like domestic abuse, alcoholism and malnourishment among others plaguing them. Know the unknown, lesser-known tribal life as we bring reader-engaging stories of Adivasis of India.

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